आज हम बात करने जा रहे है ऐसे सम्राट जिनके शासनकाल को भारतीय इतिहास का सबसे सवर्णिम काल माना जाता है हम बात कर रहे है चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य (ईसा पूर्व 304 से ईसा पूर्व 232) विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के राजा थे।सम्राट अशोक ही ऐसे राजा थे जिन्होंने अपने शासन काल में बौद्ध धर्म से प्रभवित होकर बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया और एक शान्तिप्रिय धर्म के रूप में स्वीकार किया और सम्राट अशोक के समय को भारत का सबसे स्वर्णिम काल माना जाता है |
सम्राट अशोक के समय अनेक समाज सुधारक काम हुए है सम्राट अशोक ने एक महान राजा के रूप में अनेक समाज कल्याण के लिए काम किये जितने सायद ही किसी राजा ने किये हो उनके अवशेष भारतीय महादीप में कई जगह मिलते है |
चक्रवर्ती सम्राट अशोक का जनम
शासनावधि 269 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व
राज्याभिषेक 270 ईसा पूर्व
पूर्ववर्ती बिन्दुसार
उत्तरवर्ती दशरथ मौर्य
जन्म 304 ईसा पूर्व 13 अप्रैल
पाटलिपुत्र, पटना
निधन 232 ईसा पूर्व
पाटलिपुत्र, पटना
‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक जन्म 304 ईसा पूर्व 13 अप्रैल में पाटलिपुत्र जो आज के पटना में हुआ था और चक्रवर्ती सम्राट अशोक बिन्दुसार एवं रानी धर्मा के पुत्र थे बिन्दुसार के 101 पुत्र थे लकिन तीन पुत्र का ही उलेख है जिनमे सुसीम सबसे बड़ा भाई , अशोक और तिष्य आदि ।
एक दिन सम्राट अशोक की माँ धर्मा ने दिन में सपना देखा की उसका बेटा एक दिन बहुत बड़ा सम्राट बनेगा और बाद में जाकर यह सपना सच भी हुआ सम्राट अशोक बचपन से प्रवीण था और सम्राट अशोक में एक महान सम्राट बनने के सभी गुण बचपन से मौजूदे थे | ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक HINDi
चक्रवर्ती सम्राट अशोक को भारत के इतिहास का सबसे शक्तिसाली और सबसे महान सम्राट थे उन्होंने सम्पूर्ण भारत एवं आसपास के देशो तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया सम्राट अशोक ने अपना साम्राज्य सँभालते ही उसका विस्तार करना शुरू कर दिया और बहुत ही कम समय में उन्होंने मौर्य साम्राज्य को उत्तर की हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण के मैसूर तक तथा पूर्व में बांग्लादेश से लेकर पश्चिम में मुस्लिम देशो पाकिस्तान,अफगानिस्तान, ईरान तक अपना साम्राज्य का विस्तार किया |
‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक का साम्राजय आज के भारत से लेकर पाकिस्तान ,अफगानिस्तान और नेपाल ,भूटान, बांग्लादेश,म्यांमार के भू भाग तक फैला दिया यह सिर्फ ८ साल में विस्तार किया अशोक ने 40 वर्षों तक कुशलता से शासन किया, यही कारन है कि आज भी लोग अशोक को एक अच्छे शाशक के रूप में याद करते हैं।सम्राट अशोक सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि जानवरो के लिए भी दया और मानवता का दृष्टीकोण रखता थे ।
इसलिए उन्होंने पशु पक्षियों के वध पर प्रतिबंध लगा दिया था।सम्राट अशोक ने प्रजा के लिये छायादार वृक्ष, धर्मशालाएं बनवाई तथा कुएं भी खुदवाये और साथ ही साथ उन्होंने मनुष्यों व पशुओं के लिये उपयोगी औषधियों एवं औषधालयों भी बनवाये थे ।
अशोक का मौर्य साम्राज्य इतना विशाल भू भाग पर था और भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और अब तक का सबसे शक्तिसाली साम्राज्य था भारत के इतिहास में ऐसा कोई राजा नहीं हुआ जो सम्राट अशोक की बराबरी कर सके विश्व इतिहास में महान और शक्तिसाली राजाओ में सम्राट अशोक का नाम सबसे पहले आता है |
इसलिए ही सम्राट अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य कहा जाता है,इसलिए अशोक को ‘सम्राटों का सम्राट’,कहा जाता है। सम्राट अशोक को युद्ध से ज्यादा साम्राज्य विस्तार, कुशल प्रशासन और बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए ज्यादा जाना जाता है सम्राट अशोक ने पूरी एशिया में और सभी महाद्विपों में बौद धर्म को फेलाया |
Read also deepnesswriter.com/2021/02/28/ट्रैवल-एजेंसी-बिजनेस-शुर/(opens in a new tab)
सम्राट अशोक ने अपने ८वें वर्ष (261 ई. पू.) में कलिंग पर आक्रमण क्र दिया इसका मुख्य उद्देस्य अपने व्यपार को बढ़ाना और साम्राज्य विस्तार करना था |
लेकिन यह इतना भयानक युद्ध हुआ की आप सोच भी नहीं सकते १३ वे शिलालेख के मुताबिक इस युद्ध में १ लाख ५० हजार व्यक्ति बन्दी बनाकर रखे गए जिनमे १ लाख लोगों की हत्या कर दी गयी थी सम्राट अशोक ने अपनी आँखों से इस भारी नरसंखार को देखकर ह्रदयपरिवर्तन हुआ उनका हदय करुणा और मानवता से भर गया और सम्राट अशोक ने अब यह फेसला कर लिया की वो आज के बाद कभी युद्ध नहीं करेंगे |
यहाँ से उनका धम्म युग की सुरुवात हुई और उन्होंने महान और मानवतवादी बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया सम्राट अशोक ने आदेश दिया कि कलिंग के लोगो के साथ अच्छा व्यवहार किया जाये और पूरी तरह न्यायपूर्ण व्यवहार हो। उनके ये आदेश धौली व जोगदा शिलालेखों पर आज भी अंकित है |
कलिंग के नरसंघार के बाद अशोक का मन भर गया और अंदर ही अंदर मन दुखी होता रहा इससे उबरने के लिए गौतम बुध के उपदेशो के करीब आकर अंत में बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया और उनके उपदेशो को जीवन में उतरने का फेसला किया |अशोक ने शिकार और पशु हत्या को छोड़कर समाज के कल्याण के लिए काम करने लगा चित्सालय,भवन सड़को का भी निर्माण करवाया
उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने लोगो को नेपाल ,श्री लंका अफगानिस्तान ,सीरिया, मिस्र तथा यूनान भी भेजा और अपने पुत्र और पुत्री को भी बोध धरम के प्रचार के लिए भेजा सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र ने श्रीलंका के राजा तिस्स को बौद्ध धर्म में दीक्षित कर लिया ने श्रीलंका के राजा तिस्स को ने बौद्ध धर्म को अपना राजधर्म बना लिया अशोक के शासन में ही पाटलिपुत्र में तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ
यहीं पर अभिधम्मपिटक की रचना हुई और बौद्ध भिक्षु विभिन्न देशों में प्रचार के लिए भेजे अशोक के काल में बोध धर्म के प्रचार के लिए धर्मयात्राओं का प्रारम्भ, राजकीय पदाधिकारियों की नियुक्ति, धर्म महापात्रों की नियुक्ति, दिव्य रूपों का प्रदर्शन, धर्म श्रावण एवं धर्मोपदेश की व्यवस्था, लोकाचारिता के कार्य,धर्मलिपियों का खुदवाना, विदेशों में धर्म प्रचार को प्रचारक भेजना आदि किया गया |
सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार धर्मशाला से सुरु करके स्तूप की मरम्मत करवाने और बौद्ध धर्म के उच्च पदाधिकारियों को नियुक्त समेत अनेक काम किये और जनता के बीच जाकर धर्म प्रचार करने और उपदेश देने का आदेश दिया सम्राट अशोक को ही बौद्ध धरम को आगे बढ़ाने का श्रेय जाता है और बौद धर्म में गौतम बुद्ध के बाद सम्राट अशोक का ही नाम आता है |
Read also deepnesswriter.com/2021/03/04/ए॰-पी॰-जे॰-अब्दुल-कलाम-की-ज/(opens in a new tab)
‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक HINDI -सम्राट अशोक के शासनकाल के ३३ शिलालेख मिले है इस पर सम्राट अशोक ने चट्टानों ,गुफाओ ,दीवारों में २६९ ईसापूर्व से २३१ में खुदवाए है और यह शिलालेख विभिन देशो बांग्लादेश ,भारत ,अफगानिस्तान, नेपाल ,पाकिस्तान में मिले है यह बौद्ध धर्म के अस्तित्व होने के प्रमाण है | इन शिलालेख से बौद्ध धर्म फैलने के पुख्ता सबूत मिलते है |
मिस्र और यूनान तक सम्राट अशोक के बौद धर्म होने के प्रमाण है ,पूर्वी क्षेत्रों में यह मागधी भाषा में ब्राह्मी लिपि में से लिखे गए थे। पश्चिमी क्षेत्रों के शिलालेखों में भाषा संस्कृत से मिलती जुलती खरोष्ठी लिपि का प्रयोग किया गया। कई शिलालेख में यूनानी भाषा और यूनानी और अरमै भाषा में द्विभाषीय आदेश मिलते है।
अशोक के चालीस वर्ष के शासनकाल के बाद उनकी मृत्यु लगभग २३२ ईसापूर्व हुई अशोक की मृत्यु के बाद मोर्ये राजवंश ५० साल तक शासन किया और उनकी कई पत्निया और संताने थी उसकी जानकारी नहीं है उनका अशोक स्तम्भ लुम्बिनी नेपाल में देख सकते है|
Hello all readers, today i am gonna give you review of one of the best…
आज हम भारत में टॉप 10 हिंदी समाचार पत्र और भारत के सर्वश्रेष्ठ हिंदी समाचार…
टॉप 20 मोरल स्टोरीज इन हिंदी - आज आपके लिए में 20 से ज्यादा कहानियों…
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है ? पिछले कुछ दशक में टेक्नोलॉजी ने बहुत तेज़ी से प्रगति…
हेलो दोस्तों अगर देखा जाये तो 2020 हमारे लिए एक बुरे सपने से कम नहीं…
टॉप 20 स्मॉल बिज़नेस आईडिया - आज के समय में हर कोई व्यवसाय करना चाहता…