GPS TECHNOLOGY क्या है ?और यह कैसे काम करता है |

आप जानते है GPS TECHNOLOGY क्या है ? और यह कैसे काम करता है पूरी जानकारी | आज हम इसी बारे में बात करने वाले है वर्तमान समय पहले के मुकाबले बहुत बदल चूका है और आज सबके पास स्मार्टफोन है और शायद उन्होंने कभी न कभी GPS का उपयोग भी जरूर किया होगा आज GPS हमको LOCATION ,DISTANCE ,और भी बहुत सी चीज़ो में हमारी हेल्प करता है |आज gps हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चूका है |

आइये जानते है GPS TECHNOLOGY क्या है ? और यह कैसे काम करता है पूरी जानकारी :-

1 .GPS TECHNOLOGY क्या है ?

GPS TECHNOLOGY क्या है ? – GPS एक satellite से जुड़ा radio navigation system है इसको United States government द्वारा संचालित किया जाता है GPS एक global navigation satellite सिस्टम है.यह geolocation और टाइम की जानकारी GPS तक पहुंचाती है।

अगर दूसरे शब्दो में कहे तो (GPS)जिसकी फुल फॉर्म ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) है और यह उपग्रह-आधारित नेविगेशन प्रणाली है इस सिस्टम को NAVSTAR (Navigation Satellite Timing & Ranging) भी कहते है।

इस तकनीक का उपयोग किसी चीज की लोकेशन का पता करने के लिए किया जाता हैं । यह तकनीक कम से कम 24 उपग्रहों से बनी है। GPS 24 घंटे काम करने वाली तकनीक है ।GPS उपयोग सर्वप्रथम 1960 में अमेरिका की सेना द्वारा किया गया।वर्तमान में

जीपीएस कई छेत्रो जैसे ऑटोमोबाइल, स्मार्टफोन, व्यायाम घड़ियों, हवाई जहाज, रेल, बस और गाडियों में इसका उपयोग होता है ।सबसे ज्यादा इसका उपयोग ट्रांसपोर्टे में होता है। इस जगह इसका उपयोग एक लोकेशन से दूसरी लोकेशन की दूरी पता करने में होता है।

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2. GPS काम कैसे करता है ?

GPS TECHNOLOGY क्या है ? हमारा GPS मैप एक सैटेलाइट के द्वारा काम करता है अंतरिक्ष में मौजूद इन सैटेलाइट से पृथ्वी पर सिंग्नल भेजा जाता है । GPS इन सैटेलाइट से भेजे सिग्नल्स को आपस में जोड़ता है। उसके बाद GPS इन् Signals को Map में Show करता है। अमरीका ने 50 GPS Satellite Launch किये है। हर सैटेलाइट 24 घंटे काम करता है ।

हमारा Mobile GPS Receiver के जैसे काम कर सकता है । सबसे पहले हमारा फ़ोन किसी नजदीकी सैटेलाइट से कनेक्ट होता है, यह एक सात नजदीकी 4 सैटेलाइट से कनेक्ट होता है ।ये सैटेलाइट मोबाइल से अलग अलग जानकारी लेते है । इस तरह यह हमको लोकेशन ,समय ,दुरी हमको बता देता है ।

3. GPS का इतिहास

भारत के महत्वपूर्ण 50 तथ्य

जीपीएस शुरूआत सन् 1973 मै Department of Defense U.S. (अमेरिका ) द्वारा की गयी । आम लोगो को इसके इस्तेमाल की अनुमति 1980 में मिली। जीपीएस साल 1995 में पूरी तरह ग्लोबल हुआ इस सिस्टम को पहले US (अमेरिका ) की आर्मी के लिए उपयोग लाया गया ।

बाद में अमरीका ने जब इसको नागरिक के लिए उपलब्ध कराया तब इस की क्वालिटी को कम करके उपलब्ध कराया । अमरीका ने may 2000 में लोगो के लिए accurate GPS उपलब्ध कराया।

4. GPS फुल फॉर्म :


GPS KE FULL FORM – GLOBAL POSITIONING SYSTEM

जीपीएस फुल फॉर्म हिंदी में – वैश्विक स्थान निर्धारण प्रणाली

5. GPS Tracking क्या है:-

GPS सैटेलाइट के साथ CONNECT होकर काम करता है ।अमेरिका ने 50 से ज्यादा GPS सैटेलाइट को पृथ्वी से बहार भेजा है।.और यह सभी सैटेलाइट मिलकर पृथ्वी पर सिगनल भेजते रहते है । इन सिग्नल को रिसीव करने के लिए रिसीवर की जरूरत होती है ।अगर हमारा फ़ोन इन् सिगनल रिसीव कर लेता है तो हमको अपनी लोकेशन का पता चल जाता है । ये सिर्फ लोकेशन ही नहीं बल्कि Speed, Distance, भी बताते है ।

6. GPS कितने प्रकार के होते है :-:

6.1 Assistant GPS

इस GPS का उपयोग तब होता है जब GPS Positioning System शुरू होता है । इसकी प्रयोग प्रोसेस की स्पीड को बढ़ाने के लिए किया जाता है एवं जब सिग्नल लॉक हो जाता है तब Assistant GPS Position को लॉक करने में रिसीवर की मदद करता है। इसको ही Web Based Internet Server कहा जाता है। यह पहले से सैटेलाइट की जानकारी को स्टोर करके रख देता है।

6.2 Simultaneous-GPS

इस जीपीएस के द्वारा मोबाइल को GPS और Voice Data एक ही समय में मिल जाते है। यह तरीका नेटवर्क Carrier के लिए सैटेलाइट पर आधारित रिपोर्टिंग को इम्प्रूव करने में प्रयोग में लाया जाता है। इससे नेटवर्क प्रोवाइडर, लोकेशन, Service Provide करते है।

6.3 GPS Locking

जब हमारे को किसी चीज़ का सही पता लगाने की जरूरत होती है तब हम GPS Locking का उपयोग करते है। इस तकनीक से हम किसी भी डिवाइस की सही लोकेशन का पता लगा सकते है। GPS Lock, जीपीएस ट्रैकर की स्पीड पर निर्भर होता है। GPS Locking 3 प्रकार की होती है:-

6.3.1 Hot Start

अगर GPS को हमारी Last लोकेशन पता होती है और हमारा UTC Time भी पता होता है तो यह तकनीक उस सैटेलाइट की मदद लेता है एवं उस जानकारी के आधार पर नई लोकेशन का पता लगा लेता है। यह प्रोसेस हमारी लोकेशन के ऊपर भी निर्भर करता है। यदि GPS रिसीवर Last Position के पास आ जाता है तो ट्रैकिंग की स्पीड तेज हो जाती है।

6.3.2 Warm Start

इस प्रोसेस में GPS इस जानकारी के साथ पहले वाली जानकारी भी स्टोर करके रख लेता है। इस प्रकार से रिसीवर पूरे डाटा को रिसेट कर लेता है और नई लोकेशन का पता करने के लिए सैटेलाइट सिग्नल्स का उपयोग करता है।यह कुछ समय में ट्रैकिंग कर लेता है।

6.4.3 Cold Start

इस प्रकिया में gps को कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं होती है।अतःयह अपनी ट्रैकिंग शुरू से चालू करता है इसलिए इस तकनीक को लोकेशन ट्रेस करने में ज्यादा समय लग जाता है।

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7. GPS का उपयोग

GPS TECHNOLOGY क्या है ? ऐसे तो जीपीएस के बहुत उपयोग है लेकिन में आपको कुछ उपयोग नीचे बता रहा हु :

Location (स्थान) – स्थिति का निर्धारण या स्थान का पता करने के लिए ।
Navigation (नेविगेशन) – एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए।
Tracking (ट्रैकिंग) – वस्तु निगरानी रखने के लिए ।
Mapping (मानचित्रण) – पूरी दुनिया के नक्शे बनाना एवं दिखाने के लिए ।
Timing (समय) – सटीक समय का मापन करने के लिए ।

8. दुनिया के अन्य जीपीएस सिस्टम

GPS TECHNOLOGY क्या है ? दुनिया में जीपीएस के समान ही दूसरे सिस्टम भी है , जिनको ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। GLONASS रूस के द्वारा निर्माण हुई एक उपग्रह तारामंडल प्रणाली है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी द्वारा गैलीलियो का निर्माण किया जा रहा है। चीन BeiDou का निर्माण कर रहा है। ज्यादातर गार्मिन रिसीवर्स ग्लोनास और जीपीएस दोनों को ट्रैक करते हैं और कुछ गार्मिन BeiDou को ट्रैक करते हैं।

जीपीएस उपग्रह के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी :-
GPS के आधिकारिक USDOD का नाम NAVSTAR है।
दुनिया का पहला जीपीएस उपग्रह 1978 में लॉन्च किया गया।
सनं 1994 में 24 उपग्रहों का एक पूर्ण नक्षत्र हासिल किया गया।
एक उपग्रह का निर्माण समय लगभग 10 वर्षों तक होता है।

एक जीपीएस उपग्रह का वजन लगभग 2,000 पाउंड के बराबर होता है । और सौर पैनलों के विस्तार के साथ कुल मिलाकर लगभग 17 फीट होता है।
जीपीएस उपग्रह सौर ऊर्जा द्वारा संचालित किये जाते हैं, लेकिन जब सूर्यग्रहण होता है तब उनके पास बैकअप बैटरी ऑनबोर्ड लगी होती है।
एक ट्रांसमीटर की कुल शक्ति केवल 50 वाट या उससे भी कम होती है ।

9. भारत का नेविगेशन सिस्टम

भारत के navigation system का नाम है:- Indian Regional Navigation Satellite System (IRNSS) है ।

10. वर्ल्ड के नेविगेशन सिस्टम

India IRNSS
Russia Glonass
china Bei-dou 2
Europe union GALILEO
USA NAVSTAR
Japan Quasi-Zenith Satellite System​

इनमे भारत और चीन की सैटेलाइट्स अपने देश के एरिया को ही कवर करती है।

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11. GPS का उपयोग कैसे किया जाता है।

हम आपको नीचे स्टेप बाई स्टेप बता रहे है :-

Step 1: Download Google Maps
सबसे पहले आपको अपने मोबाइल में गूगल प्ले स्टोर में जाकर Google Map नाम के एप्प को डाउनलोड करना है ।

Step 2: Open Google Maps
अगर गूगल मैप पहले से आपके फोन में इनस्टॉल किया हुआ है तो इसे ओपन करे।

Step 3: Search Box
अब GPS को अपने मोबाइल में ऑन करने के बाद सर्च बॉक्स में जाकर उस लोकेशन का नाम डाले, जो आपको सर्च करना चाहतें है।

Step 4: Tap The Destination
जैसे ही आपका डेस्टिनेशन स्क्रीन पर आ जायगा तो उस पर क्लिक कर दीजिए।

Step 5: Tap Directions
यह सब करने के बाद आपको “Direction” बटन पर क्लिक कर देना है।

Step 6: Enter a Starting Point
यहाँ पर आपको अपना स्टार्टिंग पॉइंट सिलेक्ट करना है ।

Step 7: Select Transportation Mode
स्टार्टिंग पॉइंट सिलेक्ट करने के बाद में ट्रांसपोर्टेशन मोड सिलेक्ट कर देना है।

Step 8: Tap On Start Button
हो गया अब “Start” के ऑप्शन पर क्लिक कर देना है ।

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